घंटो दर्द से तडपती रही प्रसूता, सरकारी अस्पताल में  नही किया गया उपचार, परिजनों को लेना पडा प्राईवेट अस्पताल का सहारा


यूथ इण्डिया संवाददाता, शमसाबाद/फर्रूखाबाद। प्रसव पीड़ा से तड़प रही  7 माह की गर्भवती को  फोन करने के बाबजूद  नही लेने आई एंबुलेंस तो परिजनों द्वारा  निजी वाहन से उसे खैराती अस्पताल  ले जाया गया। हद तब हो गयी जब परिजनों की गुहार के बावजूद भी महिला चिकित्सक ने गर्भवती का हाल जानना मुनासिब नहीं समझा। गर्भवती महिला घंटों दर्द से तड़पती रही।  एमरजेंसी कक्ष के सामने गर्भवती महिला स्टाप नर्स  ने अव्यवस्थाओ का बहाना बनाकर लोहिया अस्पताल फर्रूखाबाद रिफर कर दिया। 
जानकारी के अनुसार थाना क्षेत्र के ग्राम शरीफपुर छिछनी का मजरा मंझा निवासी  यतेंद्र कुमार की पत्नी अनीता  जो सात माह के गर्भकाल से गुजर रही है। अचानक पीड़ा होने पर परिजनो ने गांव की आशा बहू फूलमती  से संपर्क किया।  मामले की जानकारी देकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शमसाबाद ले जाने  को कहा। आशा बहू ने  गर्भवती महिला को स्वास्थ्य केंद्र तक पहुचाने  के लिए  एंबुलेंस के लिए काल की । समय गुजरने के बाद भी जब एंबुलेंस नहीं आई तो घबराए परिजनों द्वारा निजी वाहन से गर्भवती महिला को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र  लाया गया। जहां महिला चिकित्सक डा0 सुनीता से प्रसूता को देख लेने की परिजनों ने  गुहार लगाई। मगर महिला चिकित्सक का दिल नहीं पसीजा और उसने  रूम से ही प्रसूता का हाल स्टाफ नर्स के जरिए जाना। बताते हैं स्टाफ नर्स द्वारा प्रसूता के परिजनों को अस्पताल में बुनियादी सुविधाएं नहीं होने की मजबूरी जताकर लोहिया अस्पताल रेफर कर दिया।  मगर मांग के बाबजूद भी एक घंटे तक एम्बुलेंस नही आई।  बताया गया कि इमरजेंसी कक्ष के सामने 1 घंटे तक गर्भवती महिला दर्द से तड़पती रही। लेकिन किसी भी स्वास्थ्य कर्मी का दिल नहीं पसीजा। आखिरकार दर्द से तड़प रही गर्भवती महिला को परिजनों द्वारा प्राइवेट वाहन के सहारे फर्रुखाबाद ले जाया गया। जहां एक प्राइवेट नर्सिंग होम में उसका उपचार जारी है। इस बाबत परिवार के लोगों का कहना है कि अगर लोगों को जीवन देना है तो निजी अस्पतालों में पहुंचे। अगर खैराती अस्पताल के भरोसे मरीजों को छोड़ा गया तो शायद भगवान ही मालिक क्योंकि चिकित्सक को भगवान का दर्जा दिया गया है। लेकिन आज के दौर में ऐसे चिकित्सकों को हैवान की संज्ञा दी जाए तो ज्यादा बेहतर होगी।