समरथ को नहिं दोष गुसाईं, रवि पावक सुरसरि की नाईं


यूथ इण्डिया संवाददाता, फर्रुखाबाद। समरथ को नहिं दोष गुसाईं, रवि पावक सुरसरि की नाईं।।
सभी विघ्नों को धता बताते हुए आज सरकार ने सभी शराब के ठेकों की आॅन-लाइन नीलामी करा ही दी। ऐसा लगा कि पीने वाले नहीं पिलाने वाले ही व्यर्ग हैं। ऐसा नहीं है कि पिलाने वालो को शराब की उग्रता का ज्ञान नहीं है। मुझे राम चरित मानस की इस चैपाई का स्मरण आया कि-
 जासे निज स्वारथ हित होई, ता पर ममता कर सब कोई।।
अब शराब को हम और आप तो बुरा मानते ही है, शराब का सेवन कष्टकारक है यह शराब पीने वाले भी भली भांति जानते हैं। किसी भी शराब के ठेके के पास जाकर शराब का सेवन करने बाले महानुभावो की वार्ता सुन लीजिए वह यह कहते हुए मिलेंगे कि इस शराब के कारण मेरा परिवार नष्ट हो गया। शराब ने मेरी पूरी खेती बिकबा दी, शराब के कारण ही आज मैं दाने दाने के लिए मोहताज हो गया, बच्चों को पढ़ा नहीं सका... अब तो अपना खून बेचकर इस लत को पूरा करता हूँ। इनकी बर्बादी का आलम इन्हें इसके आगे तक ले जाता है उन सब बातों को लिखा जाये तो उन महानुभावो की महानता को समाज शास्त्र के सि(ान्त धिक्कारने लगेगे जो राजस्व संग्रह के लालच में अपनी उस जनता के लिए जो उन्हें बड़े लाड प्यार से गद्दी पर बैठाती है वह उनके लिए विष बेलि बोने का कार्य करते हैं। कोई संरक्षक यह नहीं चाहेगा कि उसके बच्चे शराब पियें जुआ खेलें अथवा किसी दुष्कर्म में पड़ कर अपने को बर्बाद करे किन्तु जब नीति नियंता ही इसके प्रेरक बन जाये तब तो यही सन्देश जाएगा कि-
अब खूब करो हुडदंगा सड़कों पर डालो रोज अडंगा
खुद के दुश्मन बन तुम करो नाच अब नंगा।
- ब्रज किशोर मिश्र एडवोकेट
प्रदेश अध्यक्ष
लोकतंत्र सेनानी समिति, उ॰प्र॰