कोरोना काल में वरदान साबित हुई प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना

  • पहली बार गर्भवती हुईं 1850 महिलाओं को अब तक मिला लाभ, पौष्टिक आहार व स्वास्थ्य देखभाल के लिए तीन किस्तों में दिये जाते हैं 5000 रुपये 



यूथ इण्डिया संवाददाता, फर्रुखाबाद। कोरोना काल में कमजोर वर्ग के लोगों की आर्थिक स्थिति पर सीधे तौर पर असर पड़ा है। ऐसे में पहली बार गर्भवती होने वाली महिलाओं के कल्याण के लिए प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना जिसकी शुरुआत जनवरी 2017 में की गई थी, अब वरदान साबित हो रही है। 
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ. दलवीर सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के अंतर्गत पहली बार गर्भवती हुयी महिला को 5000 रुपये सीधे बैंक के खाते में दिये जाते हैं। कोरोना काल में लोगों की आय पर असर पड़ा है और अन्य प्रांतों से मजदूरों ने घर वापसी की है। उन्होने बताया कि इस योजना का शत प्रतिशत लाभ पात्र गर्भवती को दिलाने के लिए सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अधिकारियों व कर्मचारियों को प्रायः निर्देशित किया गया है कि कोई भी प्रवासी पात्र लाभार्थी भी इस योजना से वंचित न रहे। गर्भवती व धात्री महिलाओं के सही खान-पान व पोषण की स्थिति में सुधार लाना इस योजना का उद्देश्य है। कोरोना काल में प्रवासी कमजोर वर्ग परिवार सहित स्थानीय गर्भवती के लिए प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना वरदान साबित हो रही है।  जिला कार्यक्रम प्रबंधक कंचन बाला ने बताया कि राज्य स्तर से जनवरी 2017 से 31 जुलाई 2020 तक 36,784  लाभार्थियों को लाभ पहुंचाने का लक्ष्य जिले को मिला था जिसमेंअब तक 22,492 लाभार्थियों को लाभ दिया जा चुका है । कोरोना महामारी के बावजूद अप्रैल 2020 से अब तक कुल 1850  पंजीक्रत लाभार्थियों को लाभ दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग का पूरा प्रयास रहता है कि इस योजना का लाभ शत प्रतिशत पात्र लाभार्थियों तक पहुंचे। प्रत्येक माह लक्ष्य के सापेक्ष शत प्रतिशत लाभ दिलाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। 




डीपीएम ने बताया कि योजना के तहत पहली बार मां बनने वाली महिलाओं को पोषण के लिए 5,000 रुपये का लाभ तीन किश्तों में दिया जाता है। पंजीकरण कराने के साथ गर्भवती को पहली किश्त के रूप में 1000 रुपये दिए जाते हैं। 
प्रसव पूर्व कम से कम एक जांच होने पर गर्भावस्था के छह माह बाद दूसरी किश्त के रूप में 2000 रुपये और बच्चे के जन्म का पंजीकरण होने और बच्चे के प्रथम चक्र का टीकाकरण पूर्ण होने पर तीसरी किश्त में 2000 रुपये दिए जाते हैं। सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर कार्यरत प्रभारी चिकित्साधिकारी की निगरानी में गांव व वार्ड की आशा कार्यकर्ता, आशा संगिनी, एएनएम, बीसीपीएमध्बीपीएम के माध्यम से फार्म भरा जाता है। लाभार्थियों को इस योजना का लाभ पाने के लिए मुख्य रूप से मातृ एवं शिशु सुरक्षा ;एमसीपीद्ध कार्ड, आधार कार्ड और खाता की पासबुक की फोटो काॅपी फार्म भरते समय जमा करना होता है।